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Thursday, 20 November 2025

मेरठ से चौंकाने वाली लापरवाही! डॉक्टर ने बच्चे की चोट पर टांकों की जगह Fevikwik लगा दी—मासूम पूरी रात दर्द से तड़पता रहा


मेरठ में एक बेहद हैरान और चिंताजनक मामला सामने आया है। आरोप है कि एक निजी डॉक्टर ने इलाज में ऐसी लापरवाही बरती, जिसने मासूम की जान तक को खतरे में डाल दिया। बताया जा रहा है कि ढाई साल के बच्चे को खेलते समय आंख के पास गंभीर चोट लग गई थी। परिवार उसे तुरंत पास के एक प्राइवेट अस्पताल ले गया।

लेकिन यहां डॉक्टर ने टांके लगाने के बजाय बच्चे के खुले घाव को Fevikwik से चिपका दिया। इस गलत इलाज की वजह से बच्चा पूरी रात दर्द से बिलखता रहा।

अगले दिन परिजन उसे दूसरे अस्पताल लेकर पहुँचे। वहां डॉक्टरों को लगभग तीन घंटे की मशक्कत के बाद बच्चे की आंख के पास लगी केमिकल की परत हटानी पड़ी। Fevikwik हटाने के बाद घाव को सही तरीके से साफ किया गया और उसे टांके लगाए गए।

यह घटना मेरठ के जागृति विहार एक्सटेंशन स्थित मेपल्स हाइट्स की है, जहां फाइनेंसर सरदार जसपिंदर सिंह अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनका ढाई साल का बेटा घर में खेलते-खेलते टेबल से टकरा गया था, जिसके बाद यह पूरा मामला सामने आया। परिजन अब डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।


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दिल्ली में 16 वर्षीय छात्र की दर्दनाक मौत: सुबह निकला था ड्रामा क्लब, दोपहर में मिली आत्महत्या की खबर दिल्ली में मंगलवार को एक बेहद दर्दनाक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। 16 साल का एक स्कूल छात्र, जो सुबह अपने ड्रामा क्लब के लिए बेहद उत्साहित होकर घर से निकला था, दोपहर होते-होते जीवन से हार गया। परिजनों और दोस्तों को यह विश्वास करना मुश्किल है कि पढ़ाई और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में सक्रिय यह बच्चा इतनी बड़ी मानसिक पीड़ा से गुजर रहा था। जानकारी के अनुसार, छात्र का शव दोपहर बाद संदिग्ध परिस्थितियों में मिला। मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी। छात्र द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में कुछ भावनात्मक बातें लिखी मिलीं, जो उसके मन की उलझन और तनाव का संकेत देती हैं। हालांकि पुलिस ने नोट की सामग्री सार्वजनिक नहीं की है और मामले की सभी पहलुओं से जांच की जा रही है। स्कूल प्रशासन ने इसे “बेहद दुखद और चौंकाने वाली घटना” बताया है और बच्चों में बढ़ते मानसिक तनाव पर चिंता भी जताई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि किशोरों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, दबाव और भावनात्मक अकेलापन गंभीर सामाजिक सवाल खड़े कर रहा है जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। पुलिस मामले की जांच में जुटी है और परिजनों से बातचीत कर आगे की कार्रवाई कर रही है। यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि बच्चों और किशोरों की मानसिक स्थिति को समझना, उनसे संवाद बनाए रखना और समय रहते सहायता देना कितना जरूरी है।

 


दिल्ली
में 16 वर्षीय छात्र की दर्दनाक मौत: सुबह निकला था ड्रामा क्लब, दोपहर में मिली आत्महत्या की खबर

दिल्ली में मंगलवार को एक बेहद दर्दनाक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। 16 साल का एक स्कूल छात्र, जो सुबह अपने ड्रामा क्लब के लिए बेहद उत्साहित होकर घर से निकला था, दोपहर होते-होते जीवन से हार गया।

परिजनों और दोस्तों को यह विश्वास करना मुश्किल है कि पढ़ाई और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में सक्रिय यह बच्चा इतनी बड़ी मानसिक पीड़ा से गुजर रहा था। जानकारी के अनुसार, छात्र का शव दोपहर बाद संदिग्ध परिस्थितियों में मिला।

मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी। छात्र द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में कुछ भावनात्मक बातें लिखी मिलीं, जो उसके मन की उलझन और तनाव का संकेत देती हैं। हालांकि पुलिस ने नोट की सामग्री सार्वजनिक नहीं की है और मामले की सभी पहलुओं से जांच की जा रही है।

स्कूल प्रशासन ने इसेबेहद दुखद और चौंकाने वाली घटनाबताया है और बच्चों में बढ़ते मानसिक तनाव पर चिंता भी जताई है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि किशोरों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, दबाव और भावनात्मक अकेलापन गंभीर सामाजिक सवाल खड़े कर रहा है जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।

पुलिस मामले की जांच में जुटी है और परिजनों से बातचीत कर आगे की कार्रवाई कर रही है। यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि बच्चों और किशोरों की मानसिक स्थिति को समझना, उनसे संवाद बनाए रखना और समय रहते सहायता देना कितना जरूरी है।

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Wednesday, 19 November 2025

In today’s world, human rights are not just principles written in books; they are the very foundation of dignity, justice, and equality for every individual.

 WORLD HUMAN RIGHTS ORGANIZION ( WHRO)

AWARNESS /JOINING WHATSAPP : 8178461020

In today’s world, human rights are not just principles written in books; they are the very foundation of dignity, justice, and equality for every individual. Unfortunately, the global situation of human rights is becoming increasingly alarming. In many parts of the world, freedom of expression is being suppressed, women and children continue to face violence and discrimination, and marginalized communities struggle daily for basic rights. War, hunger, exploitation, and injustice still deny millions the chance to live a dignified life. These realities force us to reflect on whether humanity is truly progressing toward the world envisioned by universal human values.
Human rights are not merely legal protections—they are moral commitments that bind every one of us. They remind us that every human being deserves respect and safety. Protecting human rights is not the responsibility of governments or organizations alone; it is our collective duty. When we ignore injustice, we indirectly support it. Therefore, it becomes our ethical responsibility to speak against exploitation, discrimination, and violence, and to stand firmly on the side of humanity.
Our duty is not only to safeguard our own rights but also to defend the rights of others. A responsible and aware society lays the foundation for a strong and progressive nation. We must spread awareness—through education, social media, community programs, workshops, seminars, and campaigns. When citizens become aware, positive change naturally begins to take root.
Today, the world needs united efforts to protect and strengthen human dignity. We must recognize that a violation of one person’s rights is a threat to the rights of all. Empathy, solidarity, and a firm stand for justice are essential to building a safer and more equitable world.
Let us all come forward to serve society, our nation, and humanity. Let us commit ourselves to uphold human rights, raise our voices for justice, and contribute actively to creating a world where every individual can live with freedom, dignity, and equality.
Because humanity is safe only when human rights are safe.
आज के समय में मानव अधिकार सिर्फ एक सिद्धांत नहीं, बल्कि मानवता की नींव हैं। विश्व भर में मानवाधिकारों की स्थिति चिंता का विषय बनती जा रही है—कहीं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जा रहा है, कहीं महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्गों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं, तो कहीं युद्ध, भेदभाव और भूखमरी के कारण लोग अपनी मूलभूत गरिमामय जीवन जीने के अधिकार से वंचित होते जा रहे हैं। यह स्थिति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम वास्तव में उस दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं जिसकी कल्पना मानवता के महान आदर्शों ने की थी?
मानवाधिकार केवल कानूनों में लिखे शब्द नहीं, बल्कि हर व्यक्ति को सम्मान, सुरक्षा और न्याय दिलाने की जिम्मेदारी हैं। यह जिम्मेदारी केवल सरकारों या संस्थाओं की नहीं, बल्कि हम सभी की है। जब हम किसी अन्याय को अनदेखा करते हैं, तो हम अनजाने में उस अन्याय को बढ़ावा देते हैं। इसलिए यह हमारी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम किसी भी प्रकार के शोषण, भेदभाव और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाएँ और मानवता के पक्ष में खड़े हों।
हमारा कर्तव्य सिर्फ अपने अधिकारों की रक्षा करना नहीं, बल्कि दूसरों के अधिकारों के लिए भी संघर्ष करना है। एक जागरूक समाज ही एक मजबूत राष्ट्र का आधार बनता है। हमें समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए—चाहे वह स्कूलों में मानवाधिकार शिक्षा के माध्यम से हो, सोशल मीडिया के जरिए हो या स्थानीय स्तर पर कार्यशालाओं, सेमिनारों और जन-जागरण अभियानों के माध्यम से। जब नागरिक जागरूक होते हैं, तो समाज में परिवर्तन स्वतः आने लगता है।
आज आवश्यकता है कि हम मानवता की रक्षा के लिए एक साथ खड़े हों। हमें यह स्वीकार करना होगा कि किसी एक व्यक्ति के अधिकारों का हनन पूरी मानवता के लिए खतरा है। हमें पीड़ितों के साथ सहानुभूति रखनी चाहिए, न्याय के लिए आवाज उठानी चाहिए और विश्व को एक सुरक्षित, समान और गरिमामय स्थान बनाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।
आइए हम सभी मिलकर मानव अधिकारों की रक्षा, सम्मान और संवर्द्धन हेतु अपना योगदान दें—क्योंकि मानवता तभी सुरक्षित है जब मानवाधिकार सुरक्षित हों।
TEAM WHRO 8178461020, 7011490810